जिस प्रकार से मोबाइल फोन मे लगा हुआ सिमकार्ड संबंधित नेटवर्क कि अदृश्य किरणों से संचालित होता है,
या जिस प्रकार से आप आपके आस पास उपस्थित इण्टरनेट कि अदृश्य किरणों का उपयोग करके फेसबुक चला रहे हो ,
ठीक उसी प्रकार से हमारा मानव शरीर ब्रह्माण्ड से आरही नवग्रहों कि अदृश्य किरणों से संचालित होता है ।
हमारे मस्तिष्क कि संरचना भगवान ने इस प्रकार से की है कि अभी तक वैज्ञानिक भी मानव मस्तिष्क का पूर्ण रहस्य नही समझ पाये है।
दरअसल हमारे मस्तिष्क मे भगवान ने संपूर्ण ब्रह्मांड का वायर कनेक्शन फिट किया हुआ है, हम मस्तिष्क के माध्यम से ही ब्रह्मांड से जुडे हुये है ।
हम ठीक वैसे ही सोचते ओर करते है , या हमारे जीवन मे ठीक वैसा ही होता है जैसी किरणें हमारे ग्रहों के अनुसार हमारा मस्तिष्क केच करता है ।
मस्तिष्क मे चलते विचारों के कारण ही कोई आत्महत्या कर लेता है ,
तो कोई मस्तिष्क मे चलते विचारों के कारण ही सफलता प्राप्त कर पाता है ।
अपने जीवन से हताश निराश व्यक्ति को ग्रहों के उपाय इस प्रकार से करने चाहिये , जिससे सीधा उसका मस्तिष्क प्रभावित हो ।
भारतभूषण शर्मा