****जन्म कुण्डली क्या है****
दरअसल आम जनमानस मे आज भी कुछ लोग इसे जादु या चमत्कार समझते है, कि कोई केसे उसका स्वभाव, चरित्र जीवन का सुख दुख ,हानि लाभ, जीवन कि अवश्यम्भावी घटनाओं के बारे मे जान सकता है ।
जब कि यह कोई जादु या चमत्कार नहीं है । लेकिन आम जनमानस के लिये यह किसी चमत्कार से कम भी नही है ।
तो मै आपको बता रहा था कि जन्म कुण्डली क्या है ?
उत्तर:--किसी जातक के जन्म के समय आकाश मे ग्रहों कि जो स्थिति होती है, ग्रहों कि उस स्थिति का नक्शा ही जन्म कुण्डली है ।
महर्षियों ने सम्पूर्ण आकाश को 360° का मानकर इसे 30 -30 डिग्री मे 12 राशियों मे विभाजित किया है । एक राशि का मान 30° होता है।
उपरोक्त दिये गये चित्र मे जहाँ 1 लिखा है , इसे लग्न कहा जाता है । यह सम्पूर्ण जन्मकुण्डली का आधार है ।
किसी जातक के जन्म के समय पर पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही होती है, उसी राशि को लग्न मे रख दिया जाता है, एक राशि लग्न का समय लगभग दो घण्टे होता है । दो घण्टे बाद पूर्वी क्षितिज पर दूसरी राशि उदित हो जाती है ।
अतः प्राप्त लग्न राशि को लग्न मे रखकर शेष राशियों को क्रमशः कुण्डली के 12 भावों मे स्थापित कर दिया जाता है । आकाश मे जो ग्रह जन्म के समय जहाँ होते है,उन्हे कुण्डली में उसी राशि मे स्थापित कर दिया जाता है ।
जन्म कुण्डली प्रत्येक व्यक्ति के लिये आकाशिय ग्रह स्तिथियों के आधार पर बना एक जीवन का एक नक्शा है , जो जीवन कि यात्रा का मार्ग दिखाती है।
दरअसल आम जनमानस मे आज भी कुछ लोग इसे जादु या चमत्कार समझते है, कि कोई केसे उसका स्वभाव, चरित्र जीवन का सुख दुख ,हानि लाभ, जीवन कि अवश्यम्भावी घटनाओं के बारे मे जान सकता है ।
जब कि यह कोई जादु या चमत्कार नहीं है । लेकिन आम जनमानस के लिये यह किसी चमत्कार से कम भी नही है ।
तो मै आपको बता रहा था कि जन्म कुण्डली क्या है ?
उत्तर:--किसी जातक के जन्म के समय आकाश मे ग्रहों कि जो स्थिति होती है, ग्रहों कि उस स्थिति का नक्शा ही जन्म कुण्डली है ।
महर्षियों ने सम्पूर्ण आकाश को 360° का मानकर इसे 30 -30 डिग्री मे 12 राशियों मे विभाजित किया है । एक राशि का मान 30° होता है।
उपरोक्त दिये गये चित्र मे जहाँ 1 लिखा है , इसे लग्न कहा जाता है । यह सम्पूर्ण जन्मकुण्डली का आधार है ।
किसी जातक के जन्म के समय पर पूर्वी क्षितिज पर जो राशि उदित हो रही होती है, उसी राशि को लग्न मे रख दिया जाता है, एक राशि लग्न का समय लगभग दो घण्टे होता है । दो घण्टे बाद पूर्वी क्षितिज पर दूसरी राशि उदित हो जाती है ।
अतः प्राप्त लग्न राशि को लग्न मे रखकर शेष राशियों को क्रमशः कुण्डली के 12 भावों मे स्थापित कर दिया जाता है । आकाश मे जो ग्रह जन्म के समय जहाँ होते है,उन्हे कुण्डली में उसी राशि मे स्थापित कर दिया जाता है ।
जन्म कुण्डली प्रत्येक व्यक्ति के लिये आकाशिय ग्रह स्तिथियों के आधार पर बना एक जीवन का एक नक्शा है , जो जीवन कि यात्रा का मार्ग दिखाती है।
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