शनिदेव कि दृष्टि का प्रभाव
हनुमान जी जब रावण कि लंका जला रहे थे, तब हनुमान जी के सामने एक विकट समस्या आगइ ।
रावण कि लंका सोने कि थी, सोने को आग में तपाने पर स्वर्ण में चमक आती है ।
हनुमान जी लंका को जितना जला रहे थे, लंका उतनी ही चमकती जा रही थी । हनुमान जी एक जगह खडे होकर मन में विचार करने लगे कि इस समस्या का क्या निदान हो सकता है ।
तब ही हनुमान जी कि दृष्टि रावण के बंदीगृह कि ओर पडी, वहाँ रावण ने शनिदेव को उल्टा लटका रखा था ।
हनुमान जी शनिदेव के समीप गये ।
शनिदेव हनुमान जी से बोले, कि हे कपिराज मैं आपके मन कि चिंता को जानता हुँ ।
आप मेरे बन्धन को खोलिये, जेसे ही मेरी दृष्टि इस पापी कि लंका पर पडेगी, रावण कि लंका का सर्वनाश हो जायेगा ।
हनुमान जी ने शनिदेव को बंधन से मुक्त किया ।
बंधन से मुक्त होते ही शनिदेव ने कुपित होकर रावण कि लंका पर अपनी दृष्टि डाली, वेसे ही रावण कि चमकती हुई लंका काली पड गई । सारी लंका कुरूप हो गई । तथा उसी दिन से रावण के सर्वनाश का कार्यक्रम शुरू हो गया ।
यह शनि देव कि दृष्टि का प्रभाव है । ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव कि तीन दृष्टि बताइ गई है ।
शनि अपने स्थान से तीन, सात ओर दसवे स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते है ।
शनि जब शत्रु या नीच राशि में होकर या पापी ग्रह के प्रभाव में होकर कुण्डली में जिस जिस भाव पर अपनी दृष्टि का प्रभाव रखे, उन उन भाव संबंधित फलों का नाश हो जाता है ।
क्यों कि शनि एसी अवस्था में कुपित होते है ।
ओर जब शनि स्वराशि, मित्रराशि में होकर किसी भाव को देखे तब उस भाव से संबंधित फल बढ जाते है । क्यों कि शनि एसी अवस्था में प्रसन्न होते है ।
शनि के प्रसन्न या कुपित होने का निर्धारण केवल लग्न कुण्डली से नहीं करे ।
शनि के विषय में मेरा एक अनुभव रहा है । शनि किसी को अच्छा फल बहुत देर से दिया करते है ।
लेकिन शनि अशुभ फलों को तुरन्त प्रकट करते है ।
शनि का दिया हुआ सुख ओर शनि का दिया हुआ दुख इन्सान मरते दम तक नहीं भूल पाता है ।
किसी कि कुण्डली में शनि का अच्छा होना इस बात का संकेत है कि जातक के पूर्व जन्म के कर्म निश्चित रूप से अच्छे रहे है । अगर शनि कुण्डली में अशुभ हो तब जातक के पास में पापकर्मफल भोगने कि पाप कि एक बडी गठरी होती है ।
जीवन में किसी के साथ धोखे बाजी मत करो, किसी का पैसा मत खाओ, किसी को विश्वास देकर उसके साथ विश्वास घात मत करो, मजदूर वर्ग का सम्मान करो, गरीबों का मजाक मत बनाओ । अगर इस जन्म में भी आप आपके कर्म शुद्ध रखते हो, तो हो सकता है कि शनिदेव आपके पिछले कर्म फल में कुछ दया दृष्टि दिखा दे, क्यों कि शनि जितने क्रूर है, उतने ही दयालु ओर उदार भी है ।
भारत भूषण शर्मा
हनुमान जी जब रावण कि लंका जला रहे थे, तब हनुमान जी के सामने एक विकट समस्या आगइ ।
रावण कि लंका सोने कि थी, सोने को आग में तपाने पर स्वर्ण में चमक आती है ।
हनुमान जी लंका को जितना जला रहे थे, लंका उतनी ही चमकती जा रही थी । हनुमान जी एक जगह खडे होकर मन में विचार करने लगे कि इस समस्या का क्या निदान हो सकता है ।
तब ही हनुमान जी कि दृष्टि रावण के बंदीगृह कि ओर पडी, वहाँ रावण ने शनिदेव को उल्टा लटका रखा था ।
हनुमान जी शनिदेव के समीप गये ।
शनिदेव हनुमान जी से बोले, कि हे कपिराज मैं आपके मन कि चिंता को जानता हुँ ।
आप मेरे बन्धन को खोलिये, जेसे ही मेरी दृष्टि इस पापी कि लंका पर पडेगी, रावण कि लंका का सर्वनाश हो जायेगा ।
हनुमान जी ने शनिदेव को बंधन से मुक्त किया ।
बंधन से मुक्त होते ही शनिदेव ने कुपित होकर रावण कि लंका पर अपनी दृष्टि डाली, वेसे ही रावण कि चमकती हुई लंका काली पड गई । सारी लंका कुरूप हो गई । तथा उसी दिन से रावण के सर्वनाश का कार्यक्रम शुरू हो गया ।
यह शनि देव कि दृष्टि का प्रभाव है । ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव कि तीन दृष्टि बताइ गई है ।
शनि अपने स्थान से तीन, सात ओर दसवे स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते है ।
शनि जब शत्रु या नीच राशि में होकर या पापी ग्रह के प्रभाव में होकर कुण्डली में जिस जिस भाव पर अपनी दृष्टि का प्रभाव रखे, उन उन भाव संबंधित फलों का नाश हो जाता है ।
क्यों कि शनि एसी अवस्था में कुपित होते है ।
ओर जब शनि स्वराशि, मित्रराशि में होकर किसी भाव को देखे तब उस भाव से संबंधित फल बढ जाते है । क्यों कि शनि एसी अवस्था में प्रसन्न होते है ।
शनि के प्रसन्न या कुपित होने का निर्धारण केवल लग्न कुण्डली से नहीं करे ।
शनि के विषय में मेरा एक अनुभव रहा है । शनि किसी को अच्छा फल बहुत देर से दिया करते है ।
लेकिन शनि अशुभ फलों को तुरन्त प्रकट करते है ।
शनि का दिया हुआ सुख ओर शनि का दिया हुआ दुख इन्सान मरते दम तक नहीं भूल पाता है ।
किसी कि कुण्डली में शनि का अच्छा होना इस बात का संकेत है कि जातक के पूर्व जन्म के कर्म निश्चित रूप से अच्छे रहे है । अगर शनि कुण्डली में अशुभ हो तब जातक के पास में पापकर्मफल भोगने कि पाप कि एक बडी गठरी होती है ।
जीवन में किसी के साथ धोखे बाजी मत करो, किसी का पैसा मत खाओ, किसी को विश्वास देकर उसके साथ विश्वास घात मत करो, मजदूर वर्ग का सम्मान करो, गरीबों का मजाक मत बनाओ । अगर इस जन्म में भी आप आपके कर्म शुद्ध रखते हो, तो हो सकता है कि शनिदेव आपके पिछले कर्म फल में कुछ दया दृष्टि दिखा दे, क्यों कि शनि जितने क्रूर है, उतने ही दयालु ओर उदार भी है ।
भारत भूषण शर्मा
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