क्या वास्तव मे शरीर मे देवि देवता आते है ?
प्रश्न:--क्या वास्तव में शरीर में देवि देवता आते है ?
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अक्सर हमे कइ जगह देखने ओर सुनने को मिलता है कि किसी के शरीर में भैरव जी, देवि , हनुमान जी आदि देवि देवताओं का प्रवेश होता है । ओर लोग अपनी समस्याओं का हल पूछने जाया करते है ।
हकीकत क्या है जानिये:--पहली बात ये हे कि जिस प्रकार हमें जानवरों के शरीर से दुर्गन्ध आया करति है, ठीक वेसे ही देवताओं को हमारे शरीर से गन्ध आती है । क्यों कि हमारा शरीर दिखता सुन्दर है जबकि भीतर केवल रक्त, माँस, हड्डी, मज्जा, वीर्य, चर्बी भरी हुई है । देवताओं का शरीर अग्नि तत्व प्रधान होता है ।
दूसरी बात यह है कि किसी भी मनुष्य में इतनी शक्ति ओर सामर्थ्य नहीं है कि वो देवि देवताओं का तेज सहन कर सके ।अगर वास्तव में देवि देवता आजाये तो शरीर में बम ब्लास्ट हो जायेगा ।
यहाँ तक यह तो साफ हो गया कि देवि देवता नहीं आते है । अब आता क्या है वो जानिये :--
प्रथम बात आज के समय में 95% लोग देवि देवताओं के शरीर में आने का ढोंग करते है । केवल 5% ही सच्चे होते है । इन पाँच % में जो आता है उसे कहते है भाव ।
भाव का अर्थ मन में आने वाले अपने ईष्ट के प्रति विचार। जब ईष्ट का ध्यान किया जाता है तो उस ईष्ट देव या देवि कि तरंगे मन में उठने लगति है , जोश आने लगता है , यही जोश ओर भाव दिलाने के लिये पहले उस व्यक्ति को संबंधित देवि देवता के भजन सुनाये जाते है । ओर वह व्यक्ति भजनों को सुनकर अपने ईष्ट देव के रंग में रंगने लगता है । जिसे सभी लोग यही समझते है कि इसमें बालाजी, भैरव जी आचुके है । एसा भाव आप में भी आसकता है आप चाहे तो । आपका आपके ईष्टदेव के प्रति अनन्य प्रेम होना चाहिये । आप जोश के साथ हनुमान चालिसा का जोर जोर से बोलकर पाठ करो, 100% आपको कुछ क्षण के लिये एसा लगेगा कि आपके शरीर में हनुमान जी आरहे है । आप दुर्गा सप्तशती का पाठ जोश में माता जी के सामने बेठ कर करो, जितनी देर तक आप पाठ करोगे उतनी देर तक आपका शरीर आपको देविमय लगेगा ।
दूसरी बात कइ लोगों में आते तो भूत प्रेत, जिन्द है लेकिन वो नाम देवि- देवताओं का कर दिया करते है । ओर कई लोग केवल जनता को ठगने ओर लूटने के लिये गर्दन हिलाया करते है ।
"" तुलसी या संसार में, भाँति भाँति के लोग ।""
यही है देवि देवताओं के शरीर में आने का रहस्य ।
प्रश्न:--क्या वास्तव में शरीर में देवि देवता आते है ?
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अक्सर हमे कइ जगह देखने ओर सुनने को मिलता है कि किसी के शरीर में भैरव जी, देवि , हनुमान जी आदि देवि देवताओं का प्रवेश होता है । ओर लोग अपनी समस्याओं का हल पूछने जाया करते है ।
हकीकत क्या है जानिये:--पहली बात ये हे कि जिस प्रकार हमें जानवरों के शरीर से दुर्गन्ध आया करति है, ठीक वेसे ही देवताओं को हमारे शरीर से गन्ध आती है । क्यों कि हमारा शरीर दिखता सुन्दर है जबकि भीतर केवल रक्त, माँस, हड्डी, मज्जा, वीर्य, चर्बी भरी हुई है । देवताओं का शरीर अग्नि तत्व प्रधान होता है ।
दूसरी बात यह है कि किसी भी मनुष्य में इतनी शक्ति ओर सामर्थ्य नहीं है कि वो देवि देवताओं का तेज सहन कर सके ।अगर वास्तव में देवि देवता आजाये तो शरीर में बम ब्लास्ट हो जायेगा ।
यहाँ तक यह तो साफ हो गया कि देवि देवता नहीं आते है । अब आता क्या है वो जानिये :--
प्रथम बात आज के समय में 95% लोग देवि देवताओं के शरीर में आने का ढोंग करते है । केवल 5% ही सच्चे होते है । इन पाँच % में जो आता है उसे कहते है भाव ।
भाव का अर्थ मन में आने वाले अपने ईष्ट के प्रति विचार। जब ईष्ट का ध्यान किया जाता है तो उस ईष्ट देव या देवि कि तरंगे मन में उठने लगति है , जोश आने लगता है , यही जोश ओर भाव दिलाने के लिये पहले उस व्यक्ति को संबंधित देवि देवता के भजन सुनाये जाते है । ओर वह व्यक्ति भजनों को सुनकर अपने ईष्ट देव के रंग में रंगने लगता है । जिसे सभी लोग यही समझते है कि इसमें बालाजी, भैरव जी आचुके है । एसा भाव आप में भी आसकता है आप चाहे तो । आपका आपके ईष्टदेव के प्रति अनन्य प्रेम होना चाहिये । आप जोश के साथ हनुमान चालिसा का जोर जोर से बोलकर पाठ करो, 100% आपको कुछ क्षण के लिये एसा लगेगा कि आपके शरीर में हनुमान जी आरहे है । आप दुर्गा सप्तशती का पाठ जोश में माता जी के सामने बेठ कर करो, जितनी देर तक आप पाठ करोगे उतनी देर तक आपका शरीर आपको देविमय लगेगा ।
दूसरी बात कइ लोगों में आते तो भूत प्रेत, जिन्द है लेकिन वो नाम देवि- देवताओं का कर दिया करते है । ओर कई लोग केवल जनता को ठगने ओर लूटने के लिये गर्दन हिलाया करते है ।
"" तुलसी या संसार में, भाँति भाँति के लोग ।""
यही है देवि देवताओं के शरीर में आने का रहस्य ।
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