भाग्य बडा या कर्म
अधिकांश व्यक्तियो को मेने कई बार भाग्य ओर कर्म के बारे में वाद विवाद करते देखा भी है । एक पक्ष कहता है कि कर्म बडा है,
तो दूसरा पक्ष कहता है कि भाग्य बडा है, भाग्य ही कर्म करवाता है ।
कई ज्ञानीजन दोनो को ही श्रेष्ठ बताकर अपना पीछा इस विषय से छुडा लेते है ।लेकिन सत्य क्या है, यह अन्त तक निर्णय नही हो
पाता है ।
मैं आपको भगवान श्री कृष्ण ओर श्री अर्जुन जी के बीच का कर्म ओर भाग्य का एक संवाद बताता हुँ ।भाग्य का दूसरा नाम "" प्रारब्ध"" है ।
अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते है:--- "" यदि प्रारब्ध ही सब कुछ है तो, फिर कर्म कि आवश्यकता ही क्या है ।
भगवान कहते है:-- कर्म बिना प्रारब्ध न बनता इसलिये कर्म विधान बना है ।
अर्जुन जी कहते है:-- फल पर यदि अधिकार नही तो, कर्म का पौधा क्युँ बुना है ।
भगवान कहते है:-- "" कर्म के फल कि प्राप्ति है अर्जुन, जन्मो का लेखा जोखा है ।""
भाग्य पूर्व जन्म के कर्मो से बनता है, भगवान अन्त मे अर्जुन जी से यही कहते है कि कर्म के फल कि प्राप्ति अनेक जन्मो के लेखे जोखे पर मतलब भाग्य पर निर्धारित होती है ।
मेने कई लोगो को देखा है जो हर बार परीक्षा में कठोर से कठोर मेहनत करने पर भी एक नम्बर से रह जाते है ओर कइ एसे भी देखे है जो अल्प परिश्रम में सफलता प्राप्त कर लेते है ।
गीता कि एक पंक्ति बहुत प्रसिद्ध है:-- "" कर्म किये जाओ, फल कि इच्छा मत करो""
कभी आपने सोचा है कि भगवान ने फल कि इच्छा करने से मना क्यो किया है ?
क्यो कि वर्तमान कर्म का फल आपके पूर्व जन्म के किये हुये कर्मो के फल पर निर्धारित होता है, इसे ही LUCK कहा जाता है ।
कोइ अमीर के घर पैदा होता है तो कोइ गरीब के ।
कोइ बचपन मे ही अनाथ हो जाता है । कोइ अंधा लूला लंगडा, पैदा होता है ।
इन सब पर मनुष्य का जोर नही चल सकता है ।
तुलसीदास जी ने कहा है:--
प्रारब्ध पहले रच्यो, पीछे भयो शरीर ।
तुलसी चिन्ता क्या करे, भज ले श्री रघुवीर ।।
पहले आपके भाग्य का निर्माण हुआ है, उसके बाद आपका ये शरीर बना है । व्यक्ति के भाग्य में जो बनना लिखा होता है, तो व्यक्ति अपने आप बिना किसी सलाह के उसी दिशा में कर्म करता है ।
ओर बन जाता है ।
अभी तीन चार दिन पहले ही नरेन्द्र मोदी जी से एक बच्चे ने सवाल किया ।
बच्चा:-- आदरणीय प्रधान मंत्री जी, क्या आपने कभी सोचा था कि आप एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बन जायेगे ?
मोदी जी:-- हँसते हुये, मेने तो कभी क्लास मोनिटर का चुनाव भी नही लडा था ।
यह 100% सत्य है कि व्यक्ति का प्रारब्ध उससे अपने आप कर्म करवाता है । बॉलीवुड में एसे कइ अभिनेता ओर अभिनेत्रियाँ है जिन्होने शिक्षा किसी ओर क्षेत्र मे प्राप्त कि है नाम अभिनय मे कमाया है ।
कई एसे भी है जो 10-12 वी फेल या पास है पर आज दुनिया उनका लोहा मानती है ।
व्यक्ति का प्रारब्ध अपने आप उसे जहाँ भी अच्छी बुरी जगह पहुँचना होता है, वहाँ खीच ले जाता है । प्रारब्ध अपने आप कर्म करवाता है ।
कुण्डली से आपका भाग्य पता लगाया जा सकता है, कोइ चीज आपके भाग्य में है या नहीं ।
अगर है तो क्यों है ? अगर नही है तो क्यो नही है ?
क्या करने से वो आपके भाग्य में आ सकती है ?
अगर किसी चीज को पाने मे आपका पूर्व जन्म का पाप आडे आरहा है तो उस पाप का प्रायश्चित या उपाय कर दो, उस चीज को पाने का प्रतिशत बढ जायेगा ।
अन्ततः मैं आपसे यही कहुँगा कि भाग्य के अनुसार ही व्यक्ति कर्म करता है । पिछले जन्म के कर्मो को आप इस जन्म मे भोग रहे हो, ओर इस जन्म के कर्मो से आप आपके आगे के जन्म कि तैयारी कर रहे हो । जेसे वार्षिक परीक्षा के लिये बच्चो के पास एक वर्ष का तैयारी करने का समय होता है, वेसे ही अगले जन्म या आगे कि गति के लिये आपके पास तैयारी का समय है ।
भारत भूषण शर्मा
अधिकांश व्यक्तियो को मेने कई बार भाग्य ओर कर्म के बारे में वाद विवाद करते देखा भी है । एक पक्ष कहता है कि कर्म बडा है,
तो दूसरा पक्ष कहता है कि भाग्य बडा है, भाग्य ही कर्म करवाता है ।
कई ज्ञानीजन दोनो को ही श्रेष्ठ बताकर अपना पीछा इस विषय से छुडा लेते है ।लेकिन सत्य क्या है, यह अन्त तक निर्णय नही हो
पाता है ।
मैं आपको भगवान श्री कृष्ण ओर श्री अर्जुन जी के बीच का कर्म ओर भाग्य का एक संवाद बताता हुँ ।भाग्य का दूसरा नाम "" प्रारब्ध"" है ।
अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से कहते है:--- "" यदि प्रारब्ध ही सब कुछ है तो, फिर कर्म कि आवश्यकता ही क्या है ।
भगवान कहते है:-- कर्म बिना प्रारब्ध न बनता इसलिये कर्म विधान बना है ।
अर्जुन जी कहते है:-- फल पर यदि अधिकार नही तो, कर्म का पौधा क्युँ बुना है ।
भगवान कहते है:-- "" कर्म के फल कि प्राप्ति है अर्जुन, जन्मो का लेखा जोखा है ।""
भाग्य पूर्व जन्म के कर्मो से बनता है, भगवान अन्त मे अर्जुन जी से यही कहते है कि कर्म के फल कि प्राप्ति अनेक जन्मो के लेखे जोखे पर मतलब भाग्य पर निर्धारित होती है ।
मेने कई लोगो को देखा है जो हर बार परीक्षा में कठोर से कठोर मेहनत करने पर भी एक नम्बर से रह जाते है ओर कइ एसे भी देखे है जो अल्प परिश्रम में सफलता प्राप्त कर लेते है ।
गीता कि एक पंक्ति बहुत प्रसिद्ध है:-- "" कर्म किये जाओ, फल कि इच्छा मत करो""
कभी आपने सोचा है कि भगवान ने फल कि इच्छा करने से मना क्यो किया है ?
क्यो कि वर्तमान कर्म का फल आपके पूर्व जन्म के किये हुये कर्मो के फल पर निर्धारित होता है, इसे ही LUCK कहा जाता है ।
कोइ अमीर के घर पैदा होता है तो कोइ गरीब के ।
कोइ बचपन मे ही अनाथ हो जाता है । कोइ अंधा लूला लंगडा, पैदा होता है ।
इन सब पर मनुष्य का जोर नही चल सकता है ।
तुलसीदास जी ने कहा है:--
प्रारब्ध पहले रच्यो, पीछे भयो शरीर ।
तुलसी चिन्ता क्या करे, भज ले श्री रघुवीर ।।
पहले आपके भाग्य का निर्माण हुआ है, उसके बाद आपका ये शरीर बना है । व्यक्ति के भाग्य में जो बनना लिखा होता है, तो व्यक्ति अपने आप बिना किसी सलाह के उसी दिशा में कर्म करता है ।
ओर बन जाता है ।
अभी तीन चार दिन पहले ही नरेन्द्र मोदी जी से एक बच्चे ने सवाल किया ।
बच्चा:-- आदरणीय प्रधान मंत्री जी, क्या आपने कभी सोचा था कि आप एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बन जायेगे ?
मोदी जी:-- हँसते हुये, मेने तो कभी क्लास मोनिटर का चुनाव भी नही लडा था ।
यह 100% सत्य है कि व्यक्ति का प्रारब्ध उससे अपने आप कर्म करवाता है । बॉलीवुड में एसे कइ अभिनेता ओर अभिनेत्रियाँ है जिन्होने शिक्षा किसी ओर क्षेत्र मे प्राप्त कि है नाम अभिनय मे कमाया है ।
कई एसे भी है जो 10-12 वी फेल या पास है पर आज दुनिया उनका लोहा मानती है ।
व्यक्ति का प्रारब्ध अपने आप उसे जहाँ भी अच्छी बुरी जगह पहुँचना होता है, वहाँ खीच ले जाता है । प्रारब्ध अपने आप कर्म करवाता है ।
कुण्डली से आपका भाग्य पता लगाया जा सकता है, कोइ चीज आपके भाग्य में है या नहीं ।
अगर है तो क्यों है ? अगर नही है तो क्यो नही है ?
क्या करने से वो आपके भाग्य में आ सकती है ?
अगर किसी चीज को पाने मे आपका पूर्व जन्म का पाप आडे आरहा है तो उस पाप का प्रायश्चित या उपाय कर दो, उस चीज को पाने का प्रतिशत बढ जायेगा ।
अन्ततः मैं आपसे यही कहुँगा कि भाग्य के अनुसार ही व्यक्ति कर्म करता है । पिछले जन्म के कर्मो को आप इस जन्म मे भोग रहे हो, ओर इस जन्म के कर्मो से आप आपके आगे के जन्म कि तैयारी कर रहे हो । जेसे वार्षिक परीक्षा के लिये बच्चो के पास एक वर्ष का तैयारी करने का समय होता है, वेसे ही अगले जन्म या आगे कि गति के लिये आपके पास तैयारी का समय है ।
भारत भूषण शर्मा
4 Comments
आपको डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्ति की अशेष बधाई ।
ReplyDeleteडॉ भारत भूषण शर्मा जी की प्रथम ज्ञानमयी अनन्य उपयोगी पोस्ट हेतु हार्दिक अभिनंदन ।
सदैव तुम्ही रहो ।।ॐ।।
👍👍👍👍👍
ReplyDeleteGr8 PRanam Dr.B.B.Sharmaji
ReplyDeleteYah Bhagya & Karm ki baat mere dost wife ke liye sahi hay.Mr. 15 saal tak mahenat kar rathe middle east jane ke liye aur jaa pauche US sabse maze ki baat yah hay middle east aur US dono ka family visa saath mei approve huva aur wife ka passport hi nahi tha? kyunki des ke bahar to kya city ke bahar bhi jane ka kabhi socha nahi tha aur direct US chali geyi who 8 bhai-bahen ke bich mi pali huyi
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