प्रातःकाल हथेली दर्शन के पीछे छुपा गूढ रहस्य
हमारे शास्त्रों मे प्रातः काल नींद से जागते ही दोनों हाथों कि हथेलियों का दर्शन करके प्रणाम करने कि सलाह दी गई है ।
इसके पीछे एक कारण बताया गया है।
"" कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती !
करमूले तू गोविन्द:, प्रभाते कर दर्शनम् !!
अर्थात् हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का निवास है, हाथ के मध्य भाग में सरस्वती रहती है और हाथ के मूलभाग में भगवान नारायण गोविन्द रहते है. इसलिए प्रातःकाल “कर” (हाथ) का दर्शन करना चाहिये ।
जबकि मुझे हथेली के दर्शन के पीछे एक अलग ही कारण नजर आता है।
हथेली मे मुझे माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान नारायण के दर्शन के लिये मन कि कल्पना का सहारा लेना पडता है ।
किन्तु एक ज्योतिषी होने के नाते मे किसी कि भी हथेली मे नवग्रह ""सूर्य, चन्द्र, मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि,राहु,केतु""को स्पष्ट देख सकता हुँ, तथा इन नवग्रहों के परिणाम भी प्रत्येक मनुष्य कि हथेली मे स्थित ग्रह के अनुसार ही दिखाई पडते है ।
हथेली मे भाग्य रेखा,जीवन रेखा,,हृदय रेखा,विवाह रेखा,सूर्य रेखा,मस्तिष्क रेखा,स्वास्थ्य रेखा,मणिबंध रेखा, संतान रेखा, एवं अनेक प्रकार के चिह्न स्थित होते है ।
कहने का तात्पर्य है कि किसी भी मनुष्य कि हथेली मे उसका सम्पूर्ण लेखा जोखा उपस्थित होता है ।
अतः ऋषियो के द्वारा प्रातः काल हथेली के दर्शन के लिये कहा जाने के पीछे यह एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है ।
विषय अधिक लम्बा न हो, तथा बात लोगो को सरलता से समझ मे आजाये इसलिए उन्होंने हथेली के दर्शन के पीछे इसके मूल कारण को छिपाते हुये एक छोटा सा कारण लिख दिया कि हथेली मे माँ लक्ष्मी,सरस्वती,तथा गोविन्द का निवास है ।
यह जानकर आने वाली पीढियाँ हथेली के दर्शन कि परम्परा बनाये रखे,तथा लोगो का कल्याण होता रहे ।
भारतभूषण शर्मा
हमारे शास्त्रों मे प्रातः काल नींद से जागते ही दोनों हाथों कि हथेलियों का दर्शन करके प्रणाम करने कि सलाह दी गई है ।
इसके पीछे एक कारण बताया गया है।
"" कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती !
करमूले तू गोविन्द:, प्रभाते कर दर्शनम् !!
अर्थात् हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का निवास है, हाथ के मध्य भाग में सरस्वती रहती है और हाथ के मूलभाग में भगवान नारायण गोविन्द रहते है. इसलिए प्रातःकाल “कर” (हाथ) का दर्शन करना चाहिये ।
जबकि मुझे हथेली के दर्शन के पीछे एक अलग ही कारण नजर आता है।
हथेली मे मुझे माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, भगवान नारायण के दर्शन के लिये मन कि कल्पना का सहारा लेना पडता है ।
किन्तु एक ज्योतिषी होने के नाते मे किसी कि भी हथेली मे नवग्रह ""सूर्य, चन्द्र, मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि,राहु,केतु""को स्पष्ट देख सकता हुँ, तथा इन नवग्रहों के परिणाम भी प्रत्येक मनुष्य कि हथेली मे स्थित ग्रह के अनुसार ही दिखाई पडते है ।
हथेली मे भाग्य रेखा,जीवन रेखा,,हृदय रेखा,विवाह रेखा,सूर्य रेखा,मस्तिष्क रेखा,स्वास्थ्य रेखा,मणिबंध रेखा, संतान रेखा, एवं अनेक प्रकार के चिह्न स्थित होते है ।
कहने का तात्पर्य है कि किसी भी मनुष्य कि हथेली मे उसका सम्पूर्ण लेखा जोखा उपस्थित होता है ।
अतः ऋषियो के द्वारा प्रातः काल हथेली के दर्शन के लिये कहा जाने के पीछे यह एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है ।
विषय अधिक लम्बा न हो, तथा बात लोगो को सरलता से समझ मे आजाये इसलिए उन्होंने हथेली के दर्शन के पीछे इसके मूल कारण को छिपाते हुये एक छोटा सा कारण लिख दिया कि हथेली मे माँ लक्ष्मी,सरस्वती,तथा गोविन्द का निवास है ।
यह जानकर आने वाली पीढियाँ हथेली के दर्शन कि परम्परा बनाये रखे,तथा लोगो का कल्याण होता रहे ।
भारतभूषण शर्मा
0 Comments