इंदु-लग्न (धन लग्न)
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इंदु लग्न को धन लग्न भी कहा जाता है। इस विशेष लग्न का उपयोग जातक की आर्थिक स्थित को जानने के लिए किया जाता है,इससे व्यक्ति के ऎश्वर्य एवं संपन्नता का पाता लगाया जाता है,साथ ही साथ यह जातक के जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को भी दर्शाता है।
इंदु लग्न कि गणना करने कि विधि :--
इंदु लग्न की गणना में राहु-केतु को नहीं लिया जाता है, इसमे रवि,सोम,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि को लिया जाता है,इन ग्रहों कि कलाओं कि गणना करके इंदु लग्न को ज्ञात किया जाता है,यह कलाएं इस प्रकार हैं:---
ग्रह कलाओं की संख्या
सूर्य = 30
चंद्रमा =16
मंगल = 6
बुध = 8
बृहस्पति =10
शुक्र =12
शनि =1
इन्दु लग्न की गणना करने के लिए सबसे पहले जन्म कुण्डली में चंद्र से नवमेश की कला का योग और लग्न से नवमेश की कलाओं का योग करना होता है, यदि यह योग 12 से कम हो तो उस संख्या को लिख लिया जाता है लेकिन अगर यह योग 12 से ज्यादा होता है तो इसमें से 12 का भाग दिया जाता है, शेष संख्या या तो 12 बचे या 12 से कम हो, परंतु ध्यान रखें कि 0 नहीं होना चाहिए यदि 0 आता है तो उसके स्थान पर 12 को लिखा जाता है,
इस प्रकार से जो संख्या प्राप्त हुई है उस संख्या के बराबर जन्म कुण्डली में चंद्रमा द्वारा गृहीत भाव से आगे के भावों को गिनें अब गिनने पर जो भाव आता है वह जन्म कुण्डली का इंदु लग्न होता है।
इन्दु लग्न से धन की स्थिति का आकलन करने के लिए नियम:----
1. इन्दु लग्न में यदि एक शुभ ग्रह हो और वह पाप प्रभाव से मुक्त हो तो व्यक्ति करोड़पति बनता है ।
2.इंदु लग्न में उच्च का पाप ग्रह हो तो व्यक्ति धनवान व नीच का पाप ग्रह हो तो दरिद्र होता है ।
3. इन्दु लग्न का स्वामी यदि इंदु लग्न को देख रहा हो तो व्यक्ति धनवान होता है ।
4. इंदु लग्न का कुंडली के धनेश और लाभेश से किसी भी प्रकार का संबंध व्यक्ति को धनवान बनाता है ।
5. जब कई ग्रह इन्दु लग्न में प्रभाव डालते हो या इन्दु लग्न से दूसरे/ग्यारहवें भाव में हो तो व्यक्ति विशेष निश्चित ही धनवान होता है ।
6. यदि धन लग्न में नैसर्गिक शुभ ग्रह अधिक होंगे तो व्यक्ति बहुत धनी होगा।
7. यदि एक ही शुभ ग्रह हो परंतु शुभ अथवा अशुभ ग्रह से भी दृष्ट हो तो व्यक्ति धनी तो होगा परंतु पहले की स्थिति की तुलना में कम ।
8. यदि धन लग्न में सिर्फ पाप ग्रह सूर्य शनि और मंगल हो तो व्यक्ति के पास पर्याप्त धन होता है ।
9. यदि धन लग्न में अशुभ ग्रह अपनी उच्च राशि में हो तो जीवन के प्रथम भाग में धन सामान्य होगा परंतु दूसरे भाग में धन बढ़ेगा ।
10. धन लग्न से केंद्र त्रिकोण में स्थित शुभ ग्रह की दशा में व्यक्ति धन कमाएगा इसके विपरीत लग्न से 3,6,8,12 भाव की स्थिति ग्रह राशि स्वामी की दशा में धन का नाश होता है ।
भारतभूषण शर्मा
1 Comments
sir kya nich bhag aur vakri grah ka pravabh bhi dekha jayega
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