95% प्रेम विवाह(Love marriage)असफल क्यों हो जाते है ?
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जब तक आप किसी के साथ प्रेम मे रहते है, तब तक आपकि जन्मकुण्डली का पंचम भाव सक्रिय रहता है ,  पंचम भाव विशुद्ध प्रेम का भाव है ।
पंचम भाव यदि शुभ होता है तो आप प्रेम मे आनंद का अनुभव करते है, आप जिसके प्रेम मे है उसी के लिये पूरा जीवन समर्पित कर देना चाहते है। आप इसी भावनात्मक प्रेम कि भावनाओं मे बहकर विवाह के निर्णय तक पहुँचते है । आपको लगता है कि जिसके प्रेम मे आप है उसके साथ आप अपना पूरा जीवन आनंद से गुजार सकते हो ।

पर जैसे ही आप प्रेम संबंध को विवाह संबंध मे बदल देते है तो आपकी जन्मकुण्डली मे आपका सप्तम भाव इस रिश्ते कि जिम्मेदारी ले लेता है ।

दुर्भाग्य से यदि सप्तम भाव पीडित हुआ तो आपका प्रेम हवा मे गायब होते हुये देर नहीं लगती है, जिसके सपनों मे आप 24 घंटे डूबे रहते थे ,फिर उसे आप 24 second भी नहीं देखना चाहते हैं ।
दुनिया मे प्रेम विवाह के एसे अनेक उदाहरण है जिनका अंत हत्या, झगड़ा, कोर्ट-कचहरी ओर करोडों अरबों के मुआवजे तक जाकर होता है।
अमरीका मे प्रथम बार कि शादी ना चलने पर वहाँ के लोग दोबारा शादी नहीं करके यूँ ही अपने किसी मन पसन्द साथी के साथ रहकर अपना परिवार बना लेते है , ओर 95% मामलों मे एसे रिश्ते वहाँ सफल देखे गये है । वहाँ कि संस्कृति मे इसको मान्यता है ।
इनके सफल होने का कारण सिर्फ इतना है कि उनका पंचम भाव शुभ होता है , पंचम भाव बिना शर्त के  विशुद्ध प्रेम का है।
ओर विवाह का भाव सप्तम है , विवाह मे शर्त होती है , सात वचन होते है , बंधन होता है ।  जैसे ही बिना  शर्त के विशुद्ध प्रेम को आप विवाह रुपी बंधन मे बाँधते हो तो फिर प्रेम समाप्त हो जाने कि 99% संभावना बन जाती है ।
राधा ओर कृष्ण के प्रेम कि कहानी ब्रज का कण-कण कह रहा है , लेकिन आपको ध्यान होना चाहिए कि भगवान श्री कृष्ण ओर राधा जी का विवाह नहीं हुआ था ।
भारतभूषण शर्मा