चन्द्र एक एसा ग्रह है जो आपकी जन्मकुण्डली मे बडे से बडा राजयोग निर्मित कर सकता है , तथा अकेला चंद्र जन्मकुण्डली के समस्त राजयोग ओर शुभफल नष्ट करने का सामर्थ्य रखता है । इसका कारण यह है कि चन्द्र "मन" का स्वामी होता है , आप शरीर से चाहे ग्रेट खली हो, लेकिन आपका मन यदि "चूहे" के समान है तो आपकी शारीरिक शक्ति किसी काम कि नहीं ।

"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत"

इसीलिये कमजोर चन्द्र वाले सब कुछ होते हुये भी हीन भावना से ग्रसित रहते है , अपनी शक्ति ओर बल को भूले रहते है ।
जैसे श्राप वश हनुमान जी अपनी शक्ति को भूलकर समुद्र के पास चिंतामग्न होकर बैठ गये थे, लेकिन जैसे ही जाम्बवन्त जी ने उन्हे अपने बल का स्मरण करवाया तो एक ही छलांग मे समुन्द्र को लांघ गये ।

ठीक वैसे ही कमजोर चन्द्र वाले व्यक्ति के जीवन मे कोई ना कोई जाम्बवन्त अवश्य होना चाहिये, जो समय समय पर इन्हे अपनी शक्ति का स्मरण करवाता रहे। मनोबल को बढाता रहे।
अन्यथा चन्द्र कि स्थिति अत्यधिक खराब होने पर एसे जातक "आत्महत्या" तक कर बैठते है ।

कमजोर चन्द्र वाले बच्चे पर पढाई को लेकर कभी भी प्रेशर नहीं बनाना चाहिये , एसा बच्चा यदि फैल भी हो जाता है तो उसका उत्साहवर्धन करना चाहिये, बच्चे को समझाना चाहिये कि कागज के टुकङे पर किसी के द्वारा दिये गये नंबर उसका भविष्य तय नहीं कर सकते है।
इस दुनिया मे करने के लिये बहुत कुछ है।

अमावस्या तथा पूर्णिमा ओर इनके निकट कि तिथियों मे एसे जातकों को अकेला नहीं रहना चाहिये, अपने सबसे प्रिय व्यक्ति के समीप रहना चाहिये । या फिर बार बार भगवान का स्मरण करते रहना चाहिये ।
भारतभूषण शर्मा