यह कोरोना से पीङित जातक कि जन्मकुण्डली है , यह जन्मकुण्डली स्पष्ट बताती है ,कि यह जातक अपने जीवन मे सदैव दीर्घकाल तक चलने वाले किसी ना किसी रोग से ग्रसित रहेगा ,यह इसका भाग्य है ।
आपको टी.वी. अखबार मे प्रतिदिन देखने को मिलता है कि तंबाकु ओर धूम्रपान के सेवन से कैंसर होता है , पर आप एक बार कैंसर के रोगियों का डाटा एकत्रित करो,ओर देखो उनमे से कितनों को तंबाकु या धूम्रपान के सेवन से कैंसर हुआ ।
आपको 90% कैंसर रोगी एसे मिलेंगे जिन्होने अपने पूरे जीवनकाल मे सुपारी तक को न छुआ ।

अनेक सिद्ध महापुरुष एसे हुये है जिन्होने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवद्भजन मे व्यतीत किया, उन्हे ईश्वर का साक्षात्कार भी हुआ , पर उन्हे अंत समय मे कैंसर हुआ ,ओर यही उनकी देह त्याग का बहाना बना ।

कहने का अर्थ है कि इस जीवन मे आपका जो अच्छा बुरा प्रारब्ध निश्चित हो गया है ,आप उससे बच नहीं सकते। नहीं चाहते हुये सुख भी आता है ,ओर नहीं चाहते हुये दुःख भी आता है ।

हमे केवल वर्तमान दिखाई देता है, हम किसी के साथ हो रही अच्छी- बुरी घटना के कारण को नहीं देख सकते है।

अगर आपको सङक पर एसा कोई कुत्ता नजर आये जिसके शरीर मे जगह जगह घाव ओर कीङे पङ गये हो ,तो आप कहेंगे कि है ईश्वर क्या आपको दया नहीं आती ?
लेकिन ईश्वर आपको उस कुत्ते के पूर्वजन्म के कर्मों कि हिस्ट्री दिखा दे , तो आप कहेंगे इसे जो भी सजा दी जाये वह कम है ।
वर्तमान समय मे यदि कोई पापी राज कर रहा है ,यह उसके पूर्वपुण्यों का फल है ,पुण्य समाप्त होते ही उसके पापों का हिसाब शुरु हो जायेगा ।

श्रीमद् भगवद् गीता मे भगवान श्री कृष्ण कहते है:--

ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं।
क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति।।

अर्थात पुण्य समाप्त हो जाने पर देवताओं को भी स्वर्गलोक छोङकर इस मृत्युलोक मे लौटकर आना पङता है।
भारतभूषण शर्मा