शनि कि साढे़साती ओर ढैय्या के प्रभाव मे अन्तर
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जब शनि चन्द्र राशि से 12,1,2 स्थान पर भ्रमण करता है, तब जीवन मे साढे़साती का प्रभाव होता है । चन्द्र राशि से 12वे स्थान पर शनि के आते ही साढे़साती कि शुरूवात हो जाती है।
शनि कि साढे़साती का फल:-- जब किसी को पता चलता है कि उस पर साढे़साती शुरू हो गई है, तो वह भयभीत हो जाता है । जबकि इसमे डरने वाली कोई ऐसी बात नही है, जितना इसके नाम पर डरा दिया जाता है ।
साढे़साती का फल जन्मकुंडली मे शनि कि स्थिति पर निर्भर करता है, अगर किसी का शनि अच्छा है तो साढे़साती के दोरान सफलता ,पदोन्नति, यश , धन सम्पत्ति जैसे शुभ फल प्राप्त होते है ।
उदाहरण के लिये हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देखलो , इन्हे शनि कि साढे़साती के दोरान ही प्रधानमंत्री पद प्राप्त हुआ है ।
इसके विपरीत जब जन्मकुंडली मे शनि अशुभ स्थिति मे हो , ओर साढे़साती प्रारंभ हो जाये , तो वो जीवन का सर्वाधिक कष्टदायक समय होता है । उदाहरण के लिये राहुल गाँधी को देख लो , जिस साढे़साती ने नरेन्द्र मोदी जी को राजा बनाया ,उसी साढे़साती मे इनसे सब कुछ छिन गया ।
निर्मल बाबा का साढे़साती लगते ही भेद खुल गया ।
आसाराम के सुपुत्र नारायण साँई को साढे़साती लगते ही सारे कुकर्म जनता के सामने आगये , ओर अब वो जेल मे है ।
याकूब मेमन को साढे़साती के दोरान ही फाँसी कि सजा प्राप्त हुई ।
राधे माँ का भेद साढे़साती लगते ही जनता के सामने आगया ।
कहने का अर्थ है कि जो पापकर्म कर रहा होता है, उसके पापों का घडा साढे़साती मे 100% फूटता है ।
अब बात करते है शनि कि ढैय्या कि:---
जब चन्द्र राशि से शनि 4 , 8 स्थान पर भ्रमण करता है, तब जीवन मे शनि कि ढैय्या का प्रारंभ होता है ।
शनि कि ढैय्या सभी के लिये कष्टदाई होती है, चाहे जन्मकुंडली मे शनि कितना ही अच्छा हो ।
अगर किसी कि ढैय्या के दोरान दशा महादशा अच्छी है तो नकारात्मक फल कुछ हद तक कम हो जाते है, लेकिन नकारात्मक फल ढैय्या के दोरान 100% प्राप्त होते है ।
शनि कि ढैय्या के दोरान अच्छा खासा चल रहा व्यवसाय ठप हो जाता है, नौकरी मे परेशानी आने लगती है, मानसिक तनाव बढता है, परिवार से सुख शांति भाग जाती है । अकारण ही विवाद होते है । कोई बडा रोग शरीर को लग जाता है । आर्थिक रूप से हालात तंग हो जाते है ।
शनि दुःख का कारक ग्रह है , अतः यह अशुभ स्थिति मे होने पर तरह तरह से जीवन मे दुःख प्रकट करता है ।
शनि कि अशुभ साढे़साती या ढैय्या का समय मनुष्य को स्वर्ण कि भाँति अग्नि मे तपाकर सुन्दर रूप देने जैसा होता है ।
इसी दोरान मनुष्य को पता चलता है कि कोन अपना है ओर कोन पराया ।
उसे जीवन का वास्तविक अनुभव इसी दोरान प्राप्त होता है ।
शनि के अशुभ प्रभाव से बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि जीवन मे पाप करने से बचे , किसी कमजोर गरीब असहाय कि आत्मा को कष्ट ना दे । किसी का बुरा न करे ।
अगर किसी ने अपने अच्छे समय मे पाप किये है , तो उन पापों का हिसाब किताब शनि कि साढे़साती ओर ढैय्या मे 100% होता है ।
भारतभूषण शर्म