**** भकूट दोष ****
विवाह के लिये अष्टकूट गुण मिलान
भकूट को 7 अंक प्राप्त है ।
भकूट दोष बनता केसे है ?
भकूट दोष का निर्णय वर वधू की जन्म कुंडलियों में चन्द्रमा की किसी राशि में उपस्थिति के कारण बन रहे संबंध के चलते किया जाता है। यदि वर-वधू की कुंडलियों में चन्द्रमा परस्पर 6-8, 9-5 या 12-2 राशियों में स्थित हों तो भकूट मिलान के 0 अंक होते है ।
इसके परिणाम क्या होते है ?
शास्त्रानुसार 6-8 होने पर पति या पत्नी मे से एक कि अकाल मृत्यु , 9-5 होने पर संतानोत्पत्ति मे बाधा ,तथा 2-12 होने पर जीवन मे दरिद्रता देखनी पडती है ।
इसका परिहार केसे होता है ?
यदि वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों का स्वामी एक ही ग्रह हो तो भकूट दोष खत्म हो जाता है। जैसे कि मेष-वृश्चिक तथा वृष-तुला राशियों के एक दूसरे से छठे-आठवें स्थान पर होने के पश्चात भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि मेष-वृश्चिक दोनों राशियों के स्वामी मंगल हैं तथा वृष-तुला दोनों राशियों के स्वामी शुक्र हैं। इसी प्रकार मकर-कुंभ राशियों के एक दूसरे से 12-2 स्थानों पर होने के पश्चात भी भकूट दोष नहीं बनता क्योंकि इन दोनों राशियों के स्वामी शनि हैं।
यदि वर-वधू दोनों की जन्म कुंडलियों में चन्द्र राशियों के स्वामी आपस में मित्र हैं तो भी भकूट दोष का प्रभाव कम हो जाता है जैसे कि मीन-मेष तथा मेष-धनु में भकूट दोष निर्बल रहता है क्योंकि इन दोनों ही उदाहरणों में राशियों के स्वामी गुरू तथा मंगल हैं जो कि आपसे में मित्र माने जाते हैं।
प्राचीन ज्योतिष शास्त्र मे केवल भकूट दोष के आधार पर ""पति-पत्नी"" मे से एक कि मृत्यु , संतानोत्पत्ति मे बाधा, तथा दरिद्रता जैसे फल बताये गये है ।
आधुनिक तथा व्यवहारिक ज्योतिष मे भकूट दोष के परिणाम:--
अगर भकूट दोष के होते वर वधु का विवाह कर दिया जाये तो जीवन मे पति ओर पत्नी दोनों को 100% अत्यंत बुरा समय एक साथ देखना होगा, इस बुरे समय मे उनके साथ किसी भी प्रकार कि बुरी घटना घटित हो सकती है । तथा इस बुरे समय मे उन्हे कहीं से भी किसी भी प्रकार कि सहायता प्राप्त नही होगी । भाग्य साथ छोडकर दुर्भाग्य साथ पकड लेगा ।
अगर भकूट दोष ना हो तथा जीवन मे पति का खराब समय आ जाये तो पत्नी के ग्रह पति के बुरे समय मे उसकी रक्षा करते है , तथा किसी ना किसी प्रकार से समस्या का समाधान हो ही जाता है ।
2 वर्ष पूर्व एक दम्पत्ति मेरे सम्पर्क मे आये थे , उनका अच्छा खासा बिजनेस डूब गया था , 19 करोड का कर्ज उनके सिर पर हो गया था , जो सम्पत्ति जीवन मे कमाई थी वो सब नष्ट हो गई , घर बेचकर उन्हे किराये से रहना पड़ रहा था ।
जब मेने जन्मकुंडली का विश्लेषण किया तो पाया कि पत्नी पर शनि हावी है, तथा पति पर राहु हावी है ।
फिर मेने एक बार दोनों के गुण मिलान करके देखे तो ""भकूट"" दोष का निर्माण 2-12 हो रहा था ।
प्रायः आजकल ज्योतिष मे छोटी छोटी बातों पर ध्यान न देकर बहुत बडी गलती कर दी जाती है, जिसका परिणाम विवाह के बाद दम्पत्ति को भुगतना पडता है ।
जिन दम्पत्ति कि चर्चा मेने पोस्ट मे की है , इन्हे विवाह से पूर्व एक अच्छे पण्डित जी ने विवाह ना करने कि सलाह दी थी , किन्तु यह इनका प्रेम विवाह था , अतः उन्होंने किसी कि ना मानकर मनमानी की , जिसका परिणाम उन्हे विवाह के 13 वर्ष बाद देखने को मिला ।
कुछ घटनाये जीवन मे अवश्यंभावी होती है, उनका घटना 100% निश्चित होता है, अतः उसी के अनुसार मनुष्य कि बुद्धि हो जाती है ।
भकूट दोष के पीछे एक बहुत बड़ा लोजिक छिपा हुआ है, जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है । इसकी चर्चा मैं किसी अन्य पोस्ट मे करने का प्रयास करूँगा ।
भारतभूषण शर्मा