आशीर्वाद ओर श्राप पर किसी का जोर नही
आशीर्वाद या श्राप अथवा दुआ या बद्दुआ कोइ किसी को चाहकर भी नहीं दे सकता है ।
क्यों कि ये जब भी निकलते है तो हृदय से नहीं चाहते हुये भी निकल जाते है ।
ओर हृदय से निकले हुये उद्गार कभी भी मिथ्या नहीं होते है .. यह 100% फलीभूत होते है ।
किसी को दुआ या बद्दुआ देने के लिये मुख से बोलने कि कतइ आवश्यकता नहीं होती है ।
हृदय अपने आप बोल उठता है ।
क्यों कि हृदय वही बोलता है जो आत्मा बुलवाना चाहे । ओर आत्मा साक्षात नारायण है ।
एक मूक जानवर भी आपको दुआ या बद्दुआ दे सकता है ।
अतः कभी भी एसा कार्य मत करो कि किसी भी जीव का हृदय तडफ उठे ।
अन्यथा प्रतिफल मेंआपको तडफना होगा ।
भारतभूषण शर्मा
आशीर्वाद या श्राप अथवा दुआ या बद्दुआ कोइ किसी को चाहकर भी नहीं दे सकता है ।
क्यों कि ये जब भी निकलते है तो हृदय से नहीं चाहते हुये भी निकल जाते है ।
ओर हृदय से निकले हुये उद्गार कभी भी मिथ्या नहीं होते है .. यह 100% फलीभूत होते है ।
किसी को दुआ या बद्दुआ देने के लिये मुख से बोलने कि कतइ आवश्यकता नहीं होती है ।
हृदय अपने आप बोल उठता है ।
क्यों कि हृदय वही बोलता है जो आत्मा बुलवाना चाहे । ओर आत्मा साक्षात नारायण है ।
एक मूक जानवर भी आपको दुआ या बद्दुआ दे सकता है ।
अतः कभी भी एसा कार्य मत करो कि किसी भी जीव का हृदय तडफ उठे ।
अन्यथा प्रतिफल मेंआपको तडफना होगा ।
भारतभूषण शर्मा
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