जिनका घर किसी मंदिर के पास मे होता है, उस घर मे रहने वाले लोग कभी सुखी नही रहते है ।
पढने मे ओर व्यवहार मे यह बात भले ही विचित्र लगती हो, किन्तु यह सत्य है ।
इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि लोग मन्दिर मे जाकर भगवान को अपने दु:ख दर्द सुनाते है, उनसे छुटकारा पाने कि प्रार्थना करते है जिससे मन्दिर के बाहर बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जा इकठ्ठी रहती है।यही नकारात्मक ऊर्जा मन्दिर के आस पास के क्षेत्र को प्रभावित करती है ।
मेने एसे बहुत से परिवार देखे है, जिनका घर किसी मन्दिर के समीप है । दिखने मे वो बाहर वालों को बहुत सुखी सम्पन्न दिखाई पडते है, किन्तु उनके भीतर कि स्थिति कुछ ओर ही है ।
यही एक कारण है कि प्राचीन समय के जितने भी मंदिर मिलते है वो सभी मानवीय आवास से बहुत दूर किसी जंगल ,पहाडी या नदी तालाब के किनारे मिलते है ।
भारतभूषण शर्मा
पढने मे ओर व्यवहार मे यह बात भले ही विचित्र लगती हो, किन्तु यह सत्य है ।
इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि लोग मन्दिर मे जाकर भगवान को अपने दु:ख दर्द सुनाते है, उनसे छुटकारा पाने कि प्रार्थना करते है जिससे मन्दिर के बाहर बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जा इकठ्ठी रहती है।यही नकारात्मक ऊर्जा मन्दिर के आस पास के क्षेत्र को प्रभावित करती है ।
मेने एसे बहुत से परिवार देखे है, जिनका घर किसी मन्दिर के समीप है । दिखने मे वो बाहर वालों को बहुत सुखी सम्पन्न दिखाई पडते है, किन्तु उनके भीतर कि स्थिति कुछ ओर ही है ।
यही एक कारण है कि प्राचीन समय के जितने भी मंदिर मिलते है वो सभी मानवीय आवास से बहुत दूर किसी जंगल ,पहाडी या नदी तालाब के किनारे मिलते है ।
भारतभूषण शर्मा
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