जब भाग्य के अनुसार दुख भोगना ही है तो फिर पूजा ,दान,मंत्र जप से क्या लाभ ?
प्रश्न:-- जब भाग्य के अनुसार दुःख भोगना ही पडता है तो फिर दान, मन्त्र, अनुष्ठान, ग्रहो के उपाय करने का क्या लाभ होगा ?
उत्तर:-- जैसे किसी व्यक्ति को कैद होती है तो वह जुर्माना देकर कैद कि अवधि कम करा सकता है अथवा कैद से छूट भी सकता है, ऐसे ही मनुष्य मन्त्र आदि उपाय करके भाग्य में लिखे हुये दुःखो को क्षीण कर सकता है ।
ब्रह्मलीन श्री स्वामी रामसुखदास जी महाराज